शेयर मार्केट में नए – नए नियम SEBI बनाता रहता है और ये निवेशकों के सुरक्षा के लिए होते है इसी प्रकार एक नया रूल शेयर बाजार में आया है जिसका नाम है ESM है आगे इस ब्लॉग में जानेगे ESM Kya Hota Hai ? ESM में कितने तरह का Category होता है ये स्टॉक मार्केट किस तरह काम करता है।
शेयर बाजार में बड़ी छोटी कंपनी लिस्टेड है और इस कंपनी में कभी – कभी पंप और डंप भी देखने को मिलता है जो की ऑपरेटर करता है जिसमे रिटेल निवेशक को बहुत ज़्यदा हानि होता है और रिटेल निवेशक फस जाते है तो इसी पंप और डंप को रोकने के लिए SEBI ने कड़े रूल बना रखे है पहले से सेबी ने ASM सर्विलांस बना रखा है और अब सेबी ने नया रूल ESM सर्विलांस बनाया है जिसमे रिटेल निवेशक को प्रोटेक्शन मिलेगा।
ESM Kya Hota Hai ?
ESM Full Form (Enhanced Surveillance Measure) होता है। शेयर में पंप और डंप को रोकने के लिए SEBI और एक्सचेंज मिल कर नया नयम बनाया, यानी की यह एक सर्विलांस है जिससे शेयर पर नज़र बनाये रखता है और ऑपरेटर से निवेशकों की रक्षा करता है। आपने देखे होंगे कोई न कोई कंपनी जिसका प्राइस बहुत कम होता है और कुछ दिनों में वो कंपनी काफी ऊपर पहुंच जाता है और कुछ दिनों बाद फिर वही कंपनी का प्राइस फिर निचे आ जाता है यानी इसमें ऑपरेटर पंप और डंप किया है निचे दिए गए फोटो से समझ सकते है,
इसी तरह पंप और डंप को रोकने के लिए SEBI ने ESM लाया है जिससे निवेशक की हितों की रक्षा हो सके, ESM बस उसी कंपनी पर लागू होता है जिसका Market Cap 500 करोड़ रुपए से कम होता है यह रूल सरकारी कंपनी या सरकारी बैंको पर लागू नहीं होता और जो शेयर फ्यूचर एंड ऑप्शन में है वो भी इस ESM से बहार होता है, ESM में रहने वाले स्टॉक का हर हफ्ते रिव्यु या समिक्षा होता रहता है और अगर एक बार कोई कंपनी के शेयर इस ESM में आ जाता है तो ज़्यदा से ज़्यदा 90 दिन तक उसमे लागू रहता है।
ESM CATEGORY
सेबी ने ESM में दो केटेगरी बनाया है, पहला है ESM 1 और दूसरा है ESM 2 , किसी भी स्टॉक को ESM के किस केटेगरी में डालना है वो कंपनी के प्राइस वेरिएशन को देखा जाता है पहला पैमाना है : High-low price variation
जिसमे की 3 महीने, 6 महीने, और 12 महीने का प्राइस वेरिएशन देखा जायेगा अगर कोई कंपनी के शेयर में नार्मल से ज़्यदा प्राइस में ऊपर निचे होने लगे तो और भी कुछ पैमेना है जो निचे दिए गए है,
- 3 महीने में अगर शेयर के भाव 75% से अधिक ऊपर या निचे होना,
- 6 महीने में अगर शेयर का भाव 100% से अधिक ऊपर या निचे होना,
- 12 महीने में अगर शेयर का भाव 150% से अधिक ऊपर या निचे होना
और इसी तरह दूसरा पैमाना है : Close-to-close price variation अगर ज़्यदा हुआ तो ESM लागू होगा ।
- 3 महीने में 50% से अधिक क्लोज 2 क्लोज प्राइस वेरिएशन
- 6 महीने में 75% से अधिक क्लोज 2 क्लोज प्राइस वेरिएशन
- 12 महीने में 100% से अधिक क्लोज 2 क्लोज प्राइस वेरिएशन
ESM-1
ESM 1 क्या होता है – अगर कोई शेयर ESM-1 में आ जाता है तो उसमे कई बदलाव होंगे
- ट्रेड करने पर 100% मार्जिन लागू होगा
- 5% का प्राइस बैंड लागू हो जायेगा (यानी की इंट्राडे में 5% से जयदा ऊपर निचे प्राइस नहीं होगा)
- Trade for Trade सेटेलमेंट
- अगर ESM में एक बार किसी शेयर का एंट्री हो जाता है तो ESM 90 दिन तक लागू
ESM-2
ESM 2 क्या होता है – अगर कोई शेयर ESM2 में आ जाता है तो कुछ नियम लागू हो जायेगा
- इसमें प्राइस बैंड 2% कर दिया जाता है
- Trade FOR Trade सेटेलमेंट
- हप्ता में बस एक दी सोमवार को ही ट्रेडिंग होगा
- ESM2 में आने के बाद कम से कम 1 महीने रहता है।
ESM STAGE से बहार कब आता है शेयर ?
ESM 1 में 90 दिन के बाद अगर प्राइस में वेरिएशन नहीं होता है तो हो सकता है शेयर को ईएसएम से बहार कर दिया जाये (ये सेबी के रिव्यु के ऊपर डिपेंड है)
Q. ESM 2 से बहार शेयर कब होता है?
सेबी एक महीने के बाद रिव्यु करता है अगर CLOSE TO CLOSE प्राइस वेरिएशन 8% से कम होना चहिये।